ऐ ज़िंदगी तेरे रंग अनोखे


ऐ ज़िंदगी तेरी क्या मिसाल दूँ?
तुझे डाँट दूँ यां प्यार दूँ?
तेरे रंग अनोखे,
एक पल खुशियाँ तो एक पल धोखे,
मेरी ख्वाहिशों को तू रुकने नहीं देती,
फ़िर इन्ही ख्वाहिशों को झुकने को कहती,
ऐ ज़िंदगी तेरी क्या मिसाल दूँ?
तुझे डाँट दूँ यां प्यार दूँ?

एक अज़ीज़ को भेज के तू ज़िंदगी स्वर देती है,
और जब उसकी आदत पड़ जाए तो उसे चुरा लेती है,
ज़िंदगी तू है बड़ी ज़ालिम,
समज नहीं आता तेरे बारे लिखे क्या खालिब,
ऐ ज़िंदगी तेरी क्या मिसाल दूँ?
तुझे डाँट दूँ यां प्यार दूँ?

मै किसी को तेरी बुराई नहीं कर सकती,
क्योंकि वो अपनी ज़िंदगी की बुराई कर शुरू कर देता है तेरी भगती,
ऐ ज़िंदगी भूखे दिल ने तुझसे कई खाली वादे किए,
इनकी सज़ाएँ भी तूने कम नहीं कीं,
ऐ ज़िंदगी तेरी क्या मिसाल दूँ?
तुझे डाँट दूँ यां प्यार दूँ?

इन सब शिकायतों के बावजूद भी तू बहुत हसीन है,
मेरे दिल मे तेरी एक तस्वीर है,
कभी कभी तो लगता है तू मेरे पर काट देती है,
पर उनकी जगह तू और खूबसूरत पर भी लगा देती है,
ऐ ज़िंदगी तेरी क्या मिसाल दूँ?
तुझे डाँट दूँ यां प्यार दूँ?

-हर्षिता सहगल
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